Sun. Apr 28th, 2024
himalini-sahitya

विंध्याचल दरबार मे आ के, माता जी का साथ लिया।

विंध्याचल दरबार मे आ के,
माता जी का साथ लिया।
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
स्वीकारो माँ हाँथ लिया।।
शरद पूर्णिमा के व्रत में माँ,
अमृत वर्षा वर्षाओ।
राधाकान्त कहे माँ अपने,
भक्तों को तुम हर्षाओ।।
तेरे द्वारे जो भी आये,
खाली हाँथ नही जाए।
यहीं प्रार्थना मैया मेरी,
सबकी झौली भर जाए।।
दूर खड़े जो हाँथ जोड़ कर,
सूत तेरा जयकार करे।
उन सबकी भी झौली भर दो,
इतना माँ उपकार करे।।
शरदपूर्णिमा से करवा तक,
तेरा सब गुण गाऊँ मैं।
रखो मेरे…सबको सुरक्षित,
ताकि फिरी फिरी आऊं मैं।।
मेरे सब अपनों को मैया,
सदा सुखद वरदान वरो,
जो भी मेरे अपने प्यारे,
सबका तुम कल्याण करो।।
राधाकान्त करे पुनि विनती,
सबका सुख घर बार रहे।
पद आयु सन्तान नौकरी,
सबका जय जयकार रहे।।
????
माता विंध्यवासिनी आपके जीवन के सभी रोग शोक संताप मिटाकर,पूरे परिवार का जीवन खुशियों से भर दे, माता जी आप सबको उत्तम आयु, आरोग्यता, सुख सौभाग्य सन्तति सन्तान एवं सम्पूर्ण प्रसन्नता प्रदान करें।

हरि ॐ गुरुदेव..! ज्योतिषाचार्य आचार्य राधाकान्त शास्त्री*

 



About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
%d bloggers like this: