Tue. Apr 30th, 2024

निर्भया से निर्मला तक : न्याय का इंतजार इतना लम्बा क्याें ?: श्वेता दीप्ति

 



 

 

जब हम उसका रेप कर रहे थे, तब उसे हमें रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी. उसे चुपचाप जो हो रहा था, होने देना था. तब हम उसके साथ रेप करने के बाद उसे घर छोड़ देते. सिर्फ लड़के को मारते. किसी रेपिस्ट को मौत की सजा देना लड़कियों के लिए और खतरनाक हो जाएगा । ये कहना था निर्भया के दाेषी मुकेश का ।

डॉ श्वेता दीप्ति, काठमांडू । आज निर्भया के दाेषियाें काे सजा मिल चुकी है भले ही एक लम्बा इंतजार करना पडा । बावजूद इसके ऐसी कई निर्भया हैं जाे आज भी अदालत और कानून के दाँवपेंच में उलझ कर इंसाफ का इंतजार कर रही हैं । कानून का यही दाँवपेंच पीडित काे अदालत जाने से राेकता रहा है । बलात्कार एक बार हाेता है पर उसके बाद बार बार एक पीडिता का मानसिक बलात्कार हाेता है । इस पर भी यह तय नही है कि उसे न्याय मिल ही जाय । शायद यही वजह थी कि हैदराबाद कांड में हुए एनकाउंटर काे जनता का समर्थन मिला । यह सच है कि अपराधियाें काे अपने बचाव पक्ष काे रखने की छूट कानून ने दी है । किन्तु बलात्कार जैसे घृणित अपराध के लिए न ताे नबालिग कह कर छाेडा जाना चाहिए और न ही उसे कानूनी तिकडम की छूट मिलनी चाहिए । निर्भया का एक आराेपी आज भी बरी है क्याेंकि उसे नाबालिग कहा गया जाे सिर्फ दाे महीने में कानूनी रुप से बालिग हाे जाता । कितनी अजीब बात है कि क्या दाे महीने पहले वह मासूम था जिसने सबसे अधिक बर्बरता की थी निर्भया के शरीर के साथ । उसे सेक्स और दरिंन्दगी पता थी पर वह नाबालिग था इसलिए उस शख्श काे पैसे और मशीन के साथ गायब कर दिया जाता है । आज के समय में जब पाेर्न और सेक्स खुलेआम पराेसे जा रहे हैं तब यह कैसे माना जाय कि काेई नाबालिग इस बात काे नही समझ रहा । और इस माहाेल में कानून ने एक मिसाल ताे दे दी कि नाबालिग अगर यह दुष्कर्म करते भी हैं ताे उन्हें कानून छाेड देगा । क्या यह एक गलत संदेश नहीं है ?  घिन ताे उन वकीलाें के प्रति भी आती है जाे महज पैसाें के लिए ऐसे आराेपियाें के बचाव के लिए जीजान से लगे रहते हैं जाे शायद ये भूल जाते हैं कि उनके घर में भी बेटियाँ हैं ।

4 मार्च, 2015  ‘इंडियाज़ डॉटर’ नामक एक डॉक्यूमेंट्री बनी थी, जिसे विदेशी फिल्ममेकर लेस्ली उड्विन ने बनाया था. यह डॉक्यूमेंट्री निर्भया केस पर आधारित थी. इसमें निर्भया के दोषी मुकेश सिंह का कुबूलनामा था कि जब हम उसका रेप कर रहे थे, तब उसे हमें रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी. उसे चुपचाप जो हो रहा था, होने देना था. तब हम उसके साथ रेप करने के बाद उसे घर छोड़ देते. सिर्फ लड़के को मारते. किसी रेपिस्ट को मौत की सजा देना लड़कियों के लिए और खतरनाक हो जाएगा । 

इस डॉक्यूमेंट्री में निर्भया के दोषी मुकेश सिंह के इंटरव्यू ने सनसनी मचा दी थी. मुकेश ने इंटरव्यू के दौरान कहा था, ‘किसी रेप के लिए एक लड़के से ज्यादा लड़की जिम्मेदार होती है. ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती. इसके लिए 2 हाथ चाहिए होते हैं. कोई शरीफ लड़की रात के 9 बजे घर से बाहर नहीं घूमती है. लड़का और लड़की बराबर नहीं होते हैं.’लेस्ली उड्विन द्वारा निर्मित इस डॉक्यूमेंट्री को बीबीसी पर प्रसारित किया गया था. इतने के बाद भी उस रेपिस्ट काे सजा मिलने में इतनी देर हुई । कितनी हिम्मत थी उस शख्श में कि वाे यह कहता है कि, ‘लड़कियां घरों का काम करने के लिए बनी होती हैं न कि गलत कपड़े पहनकर डिस्को और बार में घूमने के लिए. सिर्फ 20 प्रतिशत लड़कियां ही अच्छी होती हैं. जब हम उसका रेप कर रहे थे, तब उसे हमें रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी. उसे चुपचाप जो हो रहा था, होने देना था. तब हम उसके साथ रेप करने के बाद उसे घर छोड़ देते. सिर्फ लड़के को मारते. किसी रेपिस्ट को मौत की सजा देना लड़कियों के लिए और खतरनाक हो जाएगा.’ और, ‘पहले रेप करके कहते थे, ‘इसे छोड़ दो, ये किसी से नहीं कहेगी.’ लेकिन अब जो रेप करेंगे, वो लड़की को सीधे मार देंगे, छोड़ेंगे नहीं.’

यहाँ सिर्फ मुकेश की बातें नहीं थीं, दोषियों के एक वकील ए.पी. सिंह ने भी कुछ इसी तरह की मानसिकता का प्रदर्शन करते हुए कहा, ‘अगर मेरी बेटी या बहन शादी से पहले किसी के साथ संबंध बनाएगी, अपना चरित्र खराब करेगी, तो मैं खुद उसे अपने फार्म हाउस लेकर जाऊंगा और सबके सामने उस पर पेट्रोल डाल कर उसे जला दूंगा.’इस डॉक्यूमेंट्री में बचाव पक्ष के वकील एम.एल शर्मा का भी इंटरव्यू है. जिसमें वाे कहते हैं, ‘लड़कियां हीरे से भी ज्यादा कीमती होती है, अगर उसे सड़क पर रखा जाएगा तो यकीन मानिए कोई न कोई उसे जरूर ले जाएगा.’

ये मानसिकता है देश और समाज की । क्या आज के वक्त में यह आवश्यक नहीं कि कानून की किताबाें से ऐसे पन्नाें काे निकाल फेका जाय जहाँ ऐसे दरिंदाें काे निकलने के साै छिद्र माैजूद हैं ।

निर्भया के केस के साथ ही नेपाल में एक बार फिर निर्मला काँड चर्चा में है । निर्मला आज भी शासन और प्रशासन के बीच न्याय के लिए तडप रही है ।१३ वर्षीया निर्मला पन्त को बलात्कार करके हत्या कर दिया गया था ।निर्मला उस दिन अपने मित्र रोशनी के घर में होमवर्क करने के लिए गई थी और नोटबुक लेने के लिए गई थी । लेकिन वह अपने घर वापस नहीं हो पाई और अगले दिन उसका शव ईख के खेत में मिला । दाे वर्ष गुजर गए पर आज तक उसे न्याय नहीं मिला है । जहाँ रसूख वाले चैन से साँसें ले रहे हैं और निर्मला के परिजन न्याय की प्रतीक्षा में विवश भटक रहे हैं । काश कि निर्मला काे भी न्याय मिल जाए ।



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