कहती हमसे राखियाँ,तुच्छ है सभी स्वार्थ.बहनों की शुभकामना, तुमको करे सिद्धार्थ : सत्यवान सौरभ
रक्षा बंधन प्रेम का, हृदय का त्योहार ! ●●●●● इसमें बसती द्रौपदी, है कान्हा का
रक्षा बंधन प्रेम का, हृदय का त्योहार ! ●●●●● इसमें बसती द्रौपदी, है कान्हा का
“राखी “एक प्यारा एहसास – मनीषा मारू एक राखी उन शहीदों के नाम, जो परिवार
कर्फ्यू सड़कों पर फैला है वीरान सन्नाटा दूर तक न रिक्शेवाले ,न टाँगेवाले न खोमचेवाले
*रहिमन चुप ह्वे बैठिए, देखि दिनन के फेर ।* *जब नीके दिन आइहैं, बनत न
नारनौल। मनुमुक्त ‘मानव’ मेमोरियल ट्रस्ट ने विश्व का सबसे बड़ा कवि-सम्मेलन आयोजित कर एक नया
यही समय है, सही समय है, भारत का अनमोल समय है। असंख्य भुजाओं की शक्ति
आज़ादी के गीत सुहाने गाओ भी कितने हैं हमलोग दीवाने गाओ भी जाने कितने बलिदानों
आंख मिचौली ************ कलम से नहीं हूं मैं तो कोई कवि फिर भी
मौसम ने भेजी, आज एक सौगात| सुबह से हो रही, झमाझम बरसात| टपकती बूंदों में,
गत दिनों हिंदी साहित्य भारती द्वारा’ राष्ट्र का वंदन वर्तमान का अभिनंदन ‘ कार्यक्रम के
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डोगरी भाषा की पहली आधुनिक कवयित्री पद्मा सचदेव (81) का
डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट मुंशी प्रेम चन्द जयंती पर किताबो में तो आज भी जिंदा
शीर्षक : – निश्चय हर व्यक्ति के अंदर क्षमता होती है । जरुरत है समय
साहित्यिक संस्था “बज़्म-ए-सुहैल” छपरा(बिहार) द्वारा आयोजित भव्य आयोजन में कवयित्री पूजा बहार (नेपाल) की भोजपुरी
जय जवान जय जवान जय जवान। जय जय भारतीय जवान।। मृत्यु जितने वाला महा मर्दान;
उदारवादी जनप्रेमी दूरदर्शी समाजवादी चिंतक तथा नेपाली राजनीति के ऐतिहासिक महापुरुष आदरणीय विश्वेश्वरप्रसाद कोइराला के
आज के समय में नारी के कई रूप कई स्थितियाँ सामने आरही है।कहीं नारी का
काठमांडू। वरिष्ठ कलाकार और नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान के आजीवन सदस्य उत्तम नेपाली का निधन हो
शीर्षक:-“जीवन-सार” जीवन एक जलता चिराग है, खुद को झुलसाना पड़ता है| खुबसुरती नजरों में होती
वो मेरा बचपन
काठमांडू, १८ जुलाई । पूर्व निर्वाचन आयुक्त एवं नागरिक अगुवा प्रा.डा. वीरेन्द्र प्रसाद मिश्र ‘नेपाल
काठमान्डू१७जुलाई विश्वव्यापि महामारी कोविड को ध्यान में रखते हुए तथा सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का
जीते जी नही छूटता कभी, मोह माया का जाल सारा काम निपटा,जब थक कर सोई
गजल:- जीवन जो उपहार करे … …………………….. कोई हमको प्यार करे दो पल आँखे
डा श्वेता दीप्ति, भानुभक्त : नेपाली साहित्य में भानुभक्त आचार्य को आदिकवि के नाम
प्रख्यात साहित्यकार एवं पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, झांसी निवासी डॉ रवीन्द्र शुक्ल
कैसे जन्मदिन मनाऊँ मैं, जब बेबसी हो फ़िज़ाओं में, सिसकियाँ हो घटाओं में, वक़्त जैसे
हर व्यक्ति दुनिया को बदलने की सोचता है, लेकिन कोई खुद को बदलने की नहीं
काठमांडू, ३ जुलाई,२०२१ | नेपाल में हिन्दी के विकास और सम्बर्धन में विशिष्ठ योगदान के
हिन्दी के सुप्रसिद्ध संवेदनशील कवि विनय सौरभ की कविताएँ १ किसी दिन मैं आऊँगा चुपके
हम उस देश में साँसे ले रहे हैं जहाँ सबकुछ औरों के भरोसे चलता
परिवर्तन : करुणा श्री मुझे प्यार हो गया, पूछो किससे? बारिश में बेबाक उछलती जमुना
*छात्रों में नशे का कारण, दुष्प्रभाव एवं बचाव* विषय पर एक दिवसीय नि:शुल्क वेबीनार का
कबीर जयंती विशेष ओशो रजनीश ने कबीर पर बहुत कुछ कहा, उनके प्रवचनों पर ही
डॉ कामिनी वर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर ,’ योग’ शब्द संस्कृत
शमशान माफ़ करूँ उन्हें कैसे जो औरों की जलती रूह पे अपना हाथ सेंकते अपने
*रहिमन चुप ह्वे बैठिए, देखि दिनन के फेर ।* *जब नीके दिन आइहैं, बनत न
नारनौल। बच्चे के लिए हर विषय में होता है, क्योंकि जन्म के बाद बच्चा हर
5,जून ,2021,शनिवार। पर्यावरण सुरक्षा दिवस पर। 1,ममकार,एवं इच्छाओं का करें विलीनीकरण, आत्मसात, समझें सब जीवों
हाहाकार **** मानवता का यह हाहाकार असहनीय प्रतीत समय काल है टूट रहा मन सबका
05 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष….आओ पर्यावरण बचाएं जगह-जगह पर पेड़ लगाएं । आओ
मैं मन की कुछ बातों को मन में रख कर , अंदर के उथल- पुथल
एक बार एक व्यक्ति रेगिस्तान में कहीं भटक गया, उसके पास खाने-पीने की जो थोड़ी
सीताराम गुप्ता, पीतमपुरा । हेनरी फोर्ड ने कहा है कि अगर आपको विश्वास है कि आप
पहले अभाव में खुशियां थी , अब संसाधनों में भी अवसाद है । डॉ कामिनी
अपने ***** जीना तो अपनों ने सिखाया था बार-बार अहसास कराया था ‘हम अपने हैं
नई दिल्ली, 30मई,2021हिंदी पत्रकारिता दिवस अखिल भारतीय स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक संघ और नेशनल मीडिया
1826 में आज ही के दिन हिन्दी भाषा का पहला समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ कलकत्ता
भारतआजअसामयिक,आकस्मिक,असहनीय,अविस्मरणीय आपदा से जूझ रहा है। इससे पूर्व भी हमारे देश ने न जाने कितनी
आनलाईन कक्षाओं के लिए कितनी सहज है नई पीढ़ी -प्रो.संजय द्विवेदी । यह डिजीटल समय
पढ़ाई वीरेन्द्र बहादुर सिंह । मार्कशीट और सर्टिफिकेट को फैलाए उसके ढेर के बीच बैठी
रिश्तों की तलाश ************** रिश्तों की व्यर्थ तलाश छिपी है गली गली में लाश बिछी
–अमिय भूषण । इनसाइड द हिन्दू मॉल एक हालिया प्रकाशित पुस्तक है।अनोखे नाम
प्रो.संजय द्विवेदी । संवाद, संचार और बातचीत की कला किसी का भी दिल जीत सकती
डॉ. हंसराज ‘सुमन’ । लख्मीचंद पिछले ही साल जुलाई माह में प्रशासनिक अधिकारी के पद
घर से निकलूं तो _______________ घर से निकलूं तो नर्सरी से पौधे लाऊं घर से
सुमित्रानंदन पंत का जन्म अल्मोड़ा जिले (अब बागेश्वर) (तब उत्तर प्रदेश वर्तमान उत्तराखंड) के कौसानी
उजाले मन में छिपे उजाले हैं। तम के मुखड़े काले हैं। कौन भला सच बोलेगा
३ जेठ, काठमाडौं । वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र सुवेदी का कोरोना सङ्क्रमण के कारण ७६ वर्ष
हाय रे कोरोना ! आज मन बड़ा व्याकुल है, कल के चक्कर में आज आकुल
२ जेठ, काठमाडौं । नेपाली चलचित्र के सफल निर्देशक, लेखक, गीतकार तथा साहित्यकार चेतन कार्की
प्रेम पर पत्र ममता शर्मा “अंचल” प्रेमपत्र नहीं है यह। इसे प्रेम चर्चा कहा जा
पीड़ा का यह चक्रव्यूह पार तो करना ही होगा वीरेन्द्र बहादुर सिंह वीरेन्द्र बहादुर सिंह
शब्द शायद थक गये हैं शब्द जो अक्षरों की भावनाओं में बहकर शब्द बन गये