पलायन से संबंधों में पैदा होता है भ्रम : वीरेन्द्र बहादुर सिंह
वीरेन्द्र बहादुर सिंह । संबंधों का मतलब है साथ-सहयोग द्वारा जीवनयात्र का आनंद प्राप्त करना।
वीरेन्द्र बहादुर सिंह । संबंधों का मतलब है साथ-सहयोग द्वारा जीवनयात्र का आनंद प्राप्त करना।
हर चेहरे पर एक दर्द देकर जाता यह साल याद रखेंगी कई पीढियाँ इस साल
हम यह भूल जाते हैं कि वह हमारे भविष्य से पहले अपना वर्तमान देख कर
सोच ! निकल गया दम्भ, अहंकार या घमंड । सब चकनाचूर हो गए । बदल
समीक्षक : गरिमा पांडेय, ?पुस्तक : राष्ट्र रत्न ओ.पी. मोहन जीवन-यात्रा● लेखक: अशोक लव ●वर्ष
साहित्यिक दस्तावेज हैं डॉ ‘मानव’ के दोहे : डॉ एचएस बेदी नारनौल। डॉ रामनिवास ‘मानव’
लघुकथा मानव मेरा प्रेम था, जिसे मैं बहुत चाहती थी। पर प्रेम कब-कहां किसका पूरा
तुलसी की रामायण तुलसी तेरी रामायण से कितने जीवन सुधर गए है। घर घर
अटल बिहारी वाजपेयी को सन् 2015 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित
जैकब बेंगलूर की कम्पनी में पियन है ..मात्र पंद्रह हजार मासिक वेतन और इतना बड़ा
*नमामि: अटल जी* वह छन मेरा जीवन का अद्भुत पल था,जब खड़ा था मैं उनके
सुबह या शाम रेत के सिंदूरी टीले पे उतरने लगीं कोमल बूँदें पर्वतों के पार
हाँ मैं जीने लगी हूँ” सविता वर्मा “ग़ज़ल” खुद ही खुद में खोने लगी हूँ..
डा आरती की कुछ अत्यन्त मन को छूने वाली कविता १ मन्नत के धागों में
किस खेत की मूली हो टुकड़ों में जीने वाले पूछो तुकबंदी वाले से जो हर
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में पांगणा एक ऐतिहासिक गांव है।सुकेत क्षेत्र का लोकप्रिय लोकगीत
१२ दिसम्बर, काठमांडू । त्रि.वि.हिन्दी केन्द्रीय विभाग की विभागाध्यक्ष डा. संजिता वर्मा के अध्यक्षता में
*पूस की सर्दी* पूस की सर्दी एक अलहदा सा अहसास लेकर आती है पूरे साल
आधुनिक समाज एकल परिवार में लीप्त हो एक गहरी खाई की तरफ जाती हुई प्रतीत
वरिष्ठ कवि और लेखक मंगलेश डबराल का बुधवार को निधन हो गया। वे कोरोना वायरस
अभिलाषा ये कल ही की तो बात है, जब मुट्ठी की रेत सी, ज़िन्दगी फिसलने
नारनौल। भारत में पत्रकारिता को धर्म तथा लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। विश्व
सुनो दिसंबर तुम अब जाने को हो। इस साल सब को बहुत सताया तुमने। मौत
*खुशनसिबी से मिला है सफर* युं गुमसुम चुपचाप अपने मे ही खोये हुये से ना
छू–मन्तर : करुणा वन्त जल में मचलती मछली बुलाती आ उतर झील में, मुझे छुकर
नेपालगन्ज,(बाँके) पवन जायसवाल । बाँके जिला के नेपालगन्ज में उर्दू साहित्यकारों द्वारा गजल गोष्ठी किया
नारनौल। साहित्य की कोई सरहद नहीं होती। साहित्य का संदेश सार्वभौमिक होता है। अतः वह
माला मिश्रा जोगबनी । बिराटनगर स्थित पत्रकार महासंघ मोरंग सभागार में अप्पन ब्राह्मण महासभा केंद्रीय
तंग गली शहर का बरबस उतारने लगे, नाग असर जहर का। कंगन कलाई की, पूछती
(श्योर शॉट)राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित हिंदी भवन में प्रेरणा दर्पण साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच की
(मन की शांति) मन की शांति-तन की शांति, पाना चाहतें हैं। कैसे मिले-कहां मिले? वो
कविता-१ *दीया और जीवन* आज दीपावली है, ऊर्जा,ऊष्मा और रोशनी का त्योहार, पूरा घर अति
” ऐ अन्धकार! ख़बरदार ” दीवाली में घर के दरवाज़े पर जल रहे, अहम् के
– निक्की शर्मा “रश्मि” ,मुम्बई दिल्ली:-साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली द्वारा आयोजित साहित्य संगम संस्थान
महसुस करती हूँ क्या मै तेरे लिए ये तु जाने या मै जानूं एहसास क्या
___सिसकारियां घर की___ मन उदास ,अंतर्मन उलझीत कुछ ही पल में घर ,होगा समर्पित सिसक
,pre>“सोचता हूँ दोस्तों पर मुकदमा कर दूं इस बहाने हर तारीखों पर अदालत में मुलाकात
मिट्टी के सपने कुछ कह पातीं तो बात बनती मिट्टी में सनी हुई अंगुलियाँ कुम्हार
<pre>देखो आया प्यारा दिवाली का त्यौहार देखो आया प्यारा दिवाली का त्यौहार, गणेश लक्ष्मी आय
<pre)“मज़मून – 340” *दीपोत्सव* पुलकित अंग प्रेमाश्रुओं से, दहले तब दीपक जलता है नयनों में
देखो आया प्यारा दिवाली का त्यौहार, गणेश लक्ष्मी आय बिराजो हमारे घर -द्वार। काश हो
प्रार्थना कहर कोरोना का, जो कहीँ दूर सा लगता था दबे पाँव न जाने कब,
वीरेन्द्र बहादुर सिंह | दशहरा होते ही दिवाली की तैयारी शुरू हो जाती है। पहले
<pre>तुम मेरे भीतर सांस लेती हो जब बरसात हो रही हो और मन हो कॉफ़ी
<pre>” दीप दिवाली के “ अन्तस राग द्वेष ईर्ष्या के काले धब्बे पड़े रह गए
पति की सेवा करना, व्रत रखना उचित है ? वीरेन्द्र बहादुार सिंह | पति के
<pre>बैठा नाक गुरूर !! ●●●●● नई सदी ने खो दिए, जीवन के विन्यास ! सांस-सांस
तुम शरदचंद्र की पूर्णिमा । मैं धरा का…..एक दिया।। मेरे जहन की रोशनी में, प्रेम-
स्नेह-तरु उस विशाल वट-वृक्ष पर कई जीवन हँसते हैं परिवार के साथ तरह-तरह के प्राणी
28 साल पहले एक कानून के माध्यम से इस पर प्रतिबंध लगाने एवं तकनीकी प्रगति
हमेशा की तरह हाथ में कपड़ो से भरा हुआ पुराना बैग लिए राजू के पड़ोस
बोलने का वक्त अब हमारा है बहुत देख लिया बहुत सुन लिया ये अन्याय अब
२१ अक्टूबर, काठमांडू । नर्भिक अस्पताल का अध्यक्ष बसन्त चौधरी को कोरोनावाइरस संक्रमण की पुष्टि
जिन्हाेंने जिए हैं जिन्दगी अपने दिल का बादशाह खुद बनकर सिर्फ वही महसूस कर सकते
कार्तिक ४। रुपन्देही से पत्रकार दीपक कलवार की रिपोर्ट अग्रणी भोजपुरी लेखकों, विद्वानो और अभियन्तो
वीरेन्द्र बहादुर सिंह । मयूर कालेज में पढ़ने वाला युवक था। वह काफी स्मार्ट और
माला मिश्रा जोगबनी । कोरोना संक्रमण के बीच अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला मंच द्वारा अपनी
जय माँ शैलपुत्री पूजते हैं क्यों दुर्गा को क्योंकि शक्ति उनमें सन्निहित है नारी तो
डॉ मुक्त, नई दिल्ली । मानव जीवन का प्रमुख प्रयोजन है– शांति प्राप्त करना,
मंदिरों की घंटियों में मंदिरों की घंटियों में, अब नहीं जयघोष रहा, न मानवता, न
*ज़िंदगी बवाल है या फिर सवाल है * हो गये बदनाम पाकर जिसे, उस नाम
लघुकथा जीव-जगत की जटिलताओं को अत्यंत सहज और प्रभावी ढंग से सुलझाने का प्रयास करती
अंतरराष्ट्रीय कन्या दिवस के उपलक्ष् में – मुकेश भटनागर, दिल्ली । विजय एक सरकारी उपक्रम